भारतीय संविधान मे भर जाती
प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथो मे अनेक प्रकार की अछूत(शूद्र) जातियो का वर्णन मिलता है है। परंतु अंग्रेज़ सरकार ने 1935 ईस्वी मे इन जातियो का विस्तृत सर्वेक्षण करवाया और सर्वेक्षण मे पूरे देश को शूरद्रो के आधार पर नौ भागो मे बाँटा ईस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को भारत सरकार ने कानून का रूप दे दिया जिसे “गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1935” के नाम से जाना जाता है सर्वेक्षण की सूची निम्नलिखित प्रकार है –
1 पार्ट I – मद्रास
2. पार्ट II – बम्बई
3. पार्ट III – बंगाल, इसमे राजवर (Rajwar)नामक जाती भी रखी गयी है
4. पार्ट IV – संयुक्त प्रांत
5. पार्ट V - पंजाब
6. पार्ट VI- बिहार- इसमे भी राजवर जाती राखी गयी.
7. पार्ट VII- मध्यप्रांत और बेरार, इसमे राज्जहर जाती भी राखी गयी
8. पार्ट VIII – असम
9. पार्ट IX - उड़ीसा
उपर्युक्त सूची मे सब 429 जातियो का समावेश किया गया। सर्वेक्षण मे यह भी ज्ञात हुआ है कि –
राजभर - Rajbhar
राज्जहर – rajjhar
राजवर – Rajwar
भर – भर
एक जाती के नाम है जो वीभिन्न रूपो मे प्रयोग किए जाते है, उत्तरप्रदेश, बिहार उड़ीसा, बंगाल, मध्यप्रदेश और बेरार मे राजभरों कि उपस्थिती बताई गयी जिनकी जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार 6,30,708थी। 1931 ईस्वी कि जनगणना रिपोर्ट के अनुसार यह गणना ठीक बैठती है। और इसमे भरो कि सम्पूर्ण जनसंख्या 5,27,174 बताई गयी है।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पहले सूची बद्ध जातियो को “दलित जातियो” (Depressed classes) कहते थे। स्वतन्त्रता मिलने के बाद इन जातियो को मुख्यता तीन भागो मे बाँटा गया।
1. अनुसूचित जातिया(Schedule Castes) – अछूत जातिया
2. अनुसूचित जंजतिया (Schedule Tribes) – बनवासी जातिया जो अछूत नही मानी गयी।
3. पिछड़ी जातिया (Backward Caste)- अछूत नही,पर सामाजिक दृष्टि से पिछड़े लोग।
1950 ईस्वी मे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के अनुसार राष्ट्रपति ने अछूत या दलित जातियो को दो भागो मे विभक्त कर अध्यादेश जारी किया, जो भाग ए और बी के नाम से जाना गया।
1. भाग –ए संविधान (अनुसूचित जाती) आदेश 1959
2. भाग- बी संविधान (अनुसूचित जनजाति )आदेश 1950
1951 मे उपर्युक्त आदेशो मे संशोधन भी किया ज्ञ जिसे सी भाक के नाम से जाना जाता है –
1. भाग – सी संविधान (अनुसूचित जाती) (भाग सी ) आदेश 1951
2. भाग – सी संविधान (अनुसूचित जनजाति ) (भाग सी ) आदेश 1951
संसद मे कुछ जातियो को उक्त सूची मे रखने तथा कुछ को निकालने का भी प्रस्ताव रखा गया। इन प्रस्तावो के अंतर्गत 1950 ईस्वी कि उक्त सूची मे भी संशोधन किया गया। इस अध्यादेश को “अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति सूची (परिवर्तन) आदेश 1956” के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार समय-समय पर सूची मे संशोधन किया गया।
1956 ईस्वी के संशोधन मे उत्तर प्रदेश के कुछ राजभर नेता राजभर जाती को अनुसूचित जाती या अनुसूचित जनजाति कि सूची मे रखने का विरोध करने लगे। इन नेताओ का कहना था कि राजभर जाती क्षत्रिय है। अतः इसे आरक्षण कि आवश्यकता नहीं है।
अतः राजभर जाती को उत्तर प्रदेश मे 1981 मे विमुक्ति जाती कि श्रेणी मे रख दिया गया। उत्तर प्रदेश शासनादेश संख्या 899 (ए)26,700(5) दिनांक 12 मई 1981 को यह आदेश जारी कर दिया गया।
शब्द ज्ञान कोश के अनुसार भर जाती को निम्नलिखित प्रकार दर्शाया गया है –
भर – Bhar (N.M.) A sub-caste amongst Hindus, traditionally deemed as untouchable.
वर्तमान भारतीय संविधान मे भर / राजभर जाती की सूची :_
भारत के विभिन्न प्रदेशों मे भर / राजभर जाती के लोग पाये जाते है। पर इस जाती की जनसंख्या का घनत्व पुरवांचलों के जिलो मे अधिक है। घोर गरीबी,अशिक्षा, एवं अंधविश्वासों के चंगुल मे फँसकर यह जाती राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा से अभी तक नही जुड़ पायी है। इस जाती के समग्र विकास के लिए भारत सरकार से समय-समय पर सरकारी नौकरियों मे आरक्षण की मांग की जाती रही है। सरकारी दस्तावेजो के अनुसार भर/ राजभर जाती को अनुसूचित जनजाति मे सामिल करने का सुझाव भारत सरकार के पास भेजा है पर इस पर अभी तक संसंद मे बहस नही हो सकी है।
10 सितंबर 1993 ईस्वी को मण्डल आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर समाज कल्याण मंत्रालय ,भारत सरकार ने केंद्र से जो सूची अन्य पिछड़े वर्ग की जारी की उसके अनुसार भर/राजभर जाती को भी आरक्षण की सुविधा दी गयी है।
इन्दिरा साहनी और अन्य विरुद्ध भारत संघ और अन्य के केस न। 930(1990) मे उच्चतम न्यायालय ने 16 नवम्बर 1992 ईस्वी को 27% सरकारी नौकरियों मे रिक्त पदो के लिए अन्य पिछड़े वर्ग को जो आरक्षण देने का निर्णय दिया उसी के आधार पर भारत सरकार ने केंद्र और राज्यो की एक कामन (उभयनिष्ट) सूची जारी की। सूची जारीकरण संख्याO.M. No। 36012/22/93EXTT(SCT) ओएफ़ 8th sept. 1993 के अनुसार।
उक्त सूची से ज्ञात होता है की बिहार प्रांत मे भर और राजभर को दो जाती मानकर सरकारी नौकरियों मे आरक्षण का प्रावधान किया गया। परन्तु उत्तर प्रदेश मे केवल भर जाती के नाम से आरक्षण दिया गया था। बिहार की सूची तथा केंद्र सरकार की इस प्रांत के लिए जारी सूची पूर्ण रूप से अशुद्ध है. इस सूची का दुष्प्रभाव इस समाज पर भविष्य मे पड़ सकता है। क्योकि कालांतर मे इस आशय का बड़ा बवाल खड़ा हो सकता है की भर और राजभर बिहार प्रांत मे दो अलग-अलग जतिया है। क्योकि सरकारी गज़ट इसकी संपुष्टि करता है। यह आपत्ति जनक सूची अंग्रेज़ सरकार ने नहीं , भारत सरकार ने बनाई है। एक ही जाती को दो फांखों मे बांटकर भारत सरकार ने इस जाती के साथ घोर अन्याय किया है। एसा अन्याय तो अंग्रेज़ सरकार भी कर पायी थी।
इस जाती के विषय मे सूची तैयार करते सामी सरकारी अधिकारियों या आयोग के सर्वेक्षण कर्ताओ ने अशुद्ध आकड़े एकत्रित कर भर और राजभर को दो खानो मे विभक्त कर दिया है। अंग्रेज़ो ने बांटो और राज करो का जो सूत्र अपनाया था वही सूत्र गेहुओ की सरकार ने इस जाती के विषय मे अपनाया। इस जाती के राजनेता, समाज सुधारक एवं बुद्धिजीवियो ने गहरी नींद ले रखी है। जब वे गहननिद्रा से जगेंगे तब तक समय दूर चला जाएगा। आवश्यकता तो इस बात की है की भर और राजभर को समान जाती मानकर तीव्र आंदोलन छेड़ा जाय ताकि सरकार की बांटो और राज करो की नीति सफल न होने पाये। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भर जाती के विभक्तिकरण का यह क्रूर अन्याय असहनीय है। भर, राजभर लोग आपस मे सादी - विवाह करते है, रोटी-बोटी का नाता है उनमे प्रमपराए, रीति रिवाज, रहन-सहन इत्यादि सभी समान व एक है। फिर भी सरकारी गज़ट इस जाती को दो मानता है, विभाजन पैदा करता है। इनमे भविष्य मे लिखा जाने वाला इतिहास इस विभाजन को कभी स्वीकार नही करेगा और न ही इस जाती के लोग इसे अंगीकार ही करेंगे। अज्ञानता बस अभी इस विषय पर कोई आंदोलन नहीं छेड़ा जा सका है। पर वह दिन दूर नही जब इस बिभाजन पर तीव्र आंदोलन चल पड़ेगा। भर राजभर एक ही जाती के समानार्थी पुकारे जाने वाले शब्द है। इनमे विभाजन सर्वथा अमान्य है। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अदध्यादेश जारी कर के भर और राजभर को समानर्थी मान लिया है।
UTTAR PRADESH SHASAN (Backward Class Welfare Section-1)
In pursuance of the provisions of clause(3) of articls 948 the constitution. The governor is pleased to order the publication of the following English translation of notification no. 1259/64-1-97-70/96 dated 15 september 1997.
NOTIFICATION
No. 1259/64-1-97-70/96 Dated lucknow: 15 september1997
In exercise of the powers under section 13 of the Uttar Pradesh public services (Reservation for scheduled castes, scheduled Tribes and other backward classes) act. Make the following amendment in schedule 1 of the aforesaid act.
AMENDMENT
In schedule 1 to the aforsaid ac- (a) for the entries set out in column 1 below, the entries as set out against each in column 2 shall be substituted, namely:
Column – 1
1 AHIR
4 KAHAR
15 GARORIA
24 TOLI, SAMANI, ROGANGAR
25 DARJI, IDRISI
31 BANJARA
37 BHAR
38 BHURJI, BHARBHUNJUA, BHOOJ, KANDU
Column – 2
1 AHIR, YADAV,GWALA, YADUVANSHIYA
4 KAHAR,KASHYAP
15 GARORIA,PAAL AND VAGHOL
24 TOLI, SAMANI, ROGANGAR, SAHU
25 DARJI, IDRISI, KAKUTSTHA
31 BANJARA, RANKI, MUKORI AND MUKORANI
37 BHAR, RAJBHAR
38 BHURJI, BHARBHUNJA, BHOOJ, KANDU, KASHAUDHAN
(b) after entry 57, the following entias shall be inserted, namely:-
“58 – Dhobi (Who Are Not Included In the Category Of Scheduled Caste/Scheduled Tribes)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें